नई दिल्ली: भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मांग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रही है। फिलीपींस को सफलतापूर्वक आपूर्ति करने के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, मिस्र और वियतनाम इस अत्याधुनिक मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। हालाँकि, इस सौदे को लेकर रक्षा मंत्रालय या भारतीय सेना की ओर से आधिकारिक बयान अभी जारी नहीं हुआ है।

ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार इन चार देशों को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने की योजना पर काम कर रही है। इन देशों ने मुख्य रूप से भूमि-आधारित ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली में रुचि दिखाई है। इससे पहले, फिलीपींस ने अपनी तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ब्रह्मोस के एंटी-शिप संस्करण का ऑर्डर दिया था, जिसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर तक है।

रक्षा क्षेत्र से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इंडोनेशिया के साथ भी इस मिसाइल को लेकर बातचीत चल रही है। जल्द ही एक उच्च-स्तरीय इंडोनेशियाई प्रतिनिधिमंडल भारत आ सकता है, जिससे इस सौदे को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महानिदेशक जे.आर. जोशी ने बताया कि ब्रह्मोस एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) मिसाइल के परीक्षण शुरू हो चुके हैं। यह नई मिसाइल 2026 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी और इसे सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों में तैनात किया जाएगा। इससे भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता और अधिक बढ़ जाएगी।

भारत के रक्षा उद्योग में बड़ा बदलाव

  • एयरो इंडिया 2025 के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है।
  • पहले भारत 65-70% रक्षा उपकरणों का आयात करता था, लेकिन अब देश में ही बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
  • भारत अब छोटे हथियारों से लेकर ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम तक कई देशों को निर्यात कर रहा है।

ब्रह्मोस की वैश्विक मांग बढ़ने से भारत को एक विश्वसनीय रक्षा निर्यातक के रूप में नई पहचान मिली है। यह न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर रणनीतिक साझेदारी को भी बढ़ा रहा है।

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